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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?

उत्तर -

अल्पविकास व अल्पविकसित का अर्थ
(Meaning of Underdevelopment and Underdeveloped)

अर्थशास्त्री व प्रादेशिक नियोजनकर्त्ता के अनुसार विकास की अवधारणा स्थान से स्थान, समाज से समाज तथा मनुष्य से मनुष्य बदलती है। प्राय वृद्धि, सुधार तथा श्रेष्ठता के लिये विकास को अपनाया जाता है। एक भूखे को भरपेट भोजन उपलब्ध होना, एक पैदल सवार को वाहन उपलब्ध हो जाना अथवा बेघर (Homeless) व्यक्ति के लिए आवास का प्रबंध हो जाना ही विकास है। विकास की बात करते ही विकसित, अल्पविकसित, अर्द्ध-विकसित, विकासशील, निर्धन, पिछड़े, तृतीय या अविकसित (Undeveloped) जैसे शब्द भी व्यवहार में आने लगते हैं। जब हम अल्प विकसित, पिछड़े या अविकसित देश कहते हैं तब उनकी आर्थिक स्थिति के स्तर को लेकर समस्या पैदा होती है। वस्तुत 'पिछड़े' शब्द की अपेक्षा 'अल्प विकसित' नरम शब्द है। वर्तमान में पिछड़े देशों को विकासशील देश कहा जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति टू मैन ने 20 जनवरी 1949 को विकासोन्मुख देशों को अल्पविकसित नाम से सम्बोधित किया। इसके बाद से पिछड़े देश नाम का प्रचलन समाप्त हो गया एवं अल्प विकसित या अविकसित नाम प्रचलित हुआ।

विकसित देशों एवं अल्पविकसित या अविकसित देशों में अन्तर का आधार 'प्रति व्यक्ति औसत आय' माना जाता है। जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय एक निर्धारित मानदण्ड से कम थी उन्हें अल्पविकसित माना गया है। प्रति व्यक्ति वार्षिक आय के आधार पर विभिन्न देशों को विकसित अथवा अविकसित मान लेना उचित नहीं है। प्रत्येक देश की अपनी मुद्रा होती है जबकि प्रति व्यक्ति आय का तुलनात्मक विवेचन करने के लिये एक ही मुद्रा इकाई का उपयोग करना जरूरी होता है। आमतौर पर विभिन्न परिस्थितियों के कारण संयुक्त राज्य के डॉलर से किसी देश विशेष की मुद्रा इकाई के अनुपात में अन्तर पड़ने से उसके सापेक्षिक आर्थिक विकास के महत्व में अन्तर पड़ जाता है उदाहरण के लिए भारत में 1966 व 1991 में मुद्रा के अवमूल्यन (Devoluation) से रुपया तथा डॉलर का अनुपात अचानक बदल गया और प्रति व्यक्ति आय की सूची में भारत का स्थान अनेक देशों के नीचे आ गया, जबकि भारत में उत्पादन अथवा आय में ऐसा कोई आकस्मिक परिवर्तन नहीं हुआ। इसके अलावा डॉलर के आधार पर आय में अन्तर पड़ने से ही विभिन्न देशों में जीवन-यापन के स्तर मे उसी अनुपात मे फर्क नहीं पड़ता। भारत में जितनी वस्तुएँ व सेवायें केवल 100 रुपये में प्राप्त की जा सकती हैं उतनी ही वस्तुएँ व सेवायें संयुक्त राज्य अमेरिका में 100 रुपये की कीमत के बराबर 3 डॉलर में नहीं प्राप्त हो सकती। अतः प्रति व्यक्ति आय किसी देश के आर्थिक विकास स्तर को निर्धारित करने का उपयुक्त मापदण्ड नहीं है। अतः किसी देश - विशेष को केवल इसी आधार पर अविकसित कहना भी अनुचित है। वास्तव में अविकसित अथवा अल्पविकसित उस देश को कहना चाहिये जिसमें उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग न होता हों। अल्पविकसित देशों में संसाधनों के उपयोग को ही देखा जाये तो कई अल्पविकसित देशों में इसका अधिकतम उपयोग होता है। भारत व चीन में प्रतिवर्ग किमी० संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की तुलना मे कहीं अधिक लोगों का भरण-पोषण होता है।

अल्पविकास व गरीबी (निर्धनता)
(Underdevelopment and Poverty)

के० एन० भट्टाचार्य का मानना है कि कोई देश इसलिये निर्धन रहता है, क्योंकि वह अल्पविकसित है। कोई देश इसलिये अल्पविकसित है, क्योंकि वह निर्धन है तथा वह अल्पविकसित बना रहता है, क्योंकि उसके पास विकास को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक साधनों का अभाव है। निर्धनता एक अभिशाप है किन्तु इससे बड़ा अभिशाप यह है कि वह स्वयं को बढ़ावा देती है।

आमतौर पर देखा जाता है कि विकसित देशों की अपेक्षा अल्पविकसित देशों में प्रति व्यक्ति आय का स्तर बहुत नीचा होता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अधिकांश देश तथा यूरोप के कुछ देश अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में आते हैं। इनके हिस्से में विश्व का 20% से भी कम सकल राष्ट्रीय उत्पाद आता है। केयर्नक्रॉस ने अल्पविकसित देशों को 'विश्व अर्थव्यवस्था की गन्दी बस्तियाँ कहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञों के अनुसार - "हमें 'अल्प विकसित देश' शब्द का अर्थ समझने में कुछ कठिनाई हुई है। हमने इस शब्द का प्रयोग उन देशों के अर्थ में किया है जिनकी प्रति व्यक्ति वास्तविक आय (Per Capita Real Income) संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और पश्चिमी यूरोप की प्रति व्यक्ति वास्तविक आय की तुलना मे कम है। इस अर्थ में 'निर्धन देश' उपयुक्त पर्याय होगा"। अतः अल्पविकसित देश सापेक्ष शब्द है। सामान्यत ऐसे देश जिनक वास्तविक प्रति व्यक्ति आय संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय की एक-चौथाई से कम है, अल्पविकसित देशों की श्रेणी में रखे जाते हैं"।

विश्व बैंक ने World Development Report- 1996 में विभिन्न देशों का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया है-

(i) निम्न आय वाले देश - इनमें 1994 में प्रति व्यक्ति GNP 725 डॉलर या इससे कम हैं। बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान, भारत, श्रीलंका, चीन, पाकिस्तान, तंजानिया, कीनिया व सूडान ऐसे ही देश हैं।

(ii) मध्यम आय वाले देश - जिनकी प्रति व्यक्ति आय 725 डॉलर से 8955 डॉलर के मध्य है। इण्डोनेशिया, मिस्र, थाईलैंड, फिलीपाइन्स, नाईजीरिया, मलेशिया, दक्षिणी कोरिया, टर्की, मैक्सिको, दक्षिणी अफ्रीका, ब्राजील, अर्जेन्टाइना, यूगोस्लाविया, वेनेजुएला ऐसे ही देश हैं।

(iii) उच्च आय वाले देश - इनमे प्रति व्यक्ति कुल राष्ट्रीय उत्पाद 8956 डॉलर या इससे अधिक है।

1994 में निम्न आय वाले देशों में विश्व का सकल राष्ट्रीय उत्पाद 4.8% उपलब्ध था, जबकि वहाँ 56.8% जनसंख्या निवास करती थी। इसी प्रकार मध्यम आय वर्ग वाले देशों मे कुल जनसंख्या का 28% रहता है, परन्तु उनको कुल विश्व आय का 15.8% ही प्राप्त है। यदि इन दोनों को जोड़कर अल्पविकसित अर्थव्यवस्थायें कहें तो इनमे विश्व की कुल जनसंख्या का 84.8% रहता है, परन्तु इन्हें विश्व की कुल आय का 20.6% ही प्राप्त होता है। स्पष्ट है कि विश्व अर्थव्यवस्था में आय का संकेन्द्रण उच्च आय वाले देशों या विकसित अर्थव्यवस्थाओं के पक्ष में रहा है।

1994 में भारत विश्व की 16.3% जनसंख्या रखता था परन्तु इसे विश्व आय का केवल 1.2% ही प्राप्त था। 1994 में भारत में प्रति व्यक्ति आय केवल 320 डॉलर दर्ज की गई है। इसलिये भारत की गिनती विश्व के निर्धन देशों में होती है।

विश्व विकास रिपोर्ट-2010 के अनुसार वर्ष 2007 में भारत मे प्रति व्यक्ति आय 1070 डॉलर दर्ज की गई है। रुपये की विनिमय दर के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की 11वीं बड़ी तथा क्रयशक्ति समता के आधार पर यह विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था 2009 में बन गई थी। विश्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार 2009 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 1296 डॉलर आकलित किया गया है तथा इस दृष्टि से उसका विश्व में 11वां स्थान रहा है।

अल्पविकसित देश की परिभाषा

विभिन्न विद्वानों ने अल्पविकसित देशों को निम्न प्रकार परिभाषित किया है-

1. मिन्ट (Myint) के अनुसार - "प्रति व्यक्ति आय का कम होना अल्पविकास का केवल एक पक्ष है"।

2. प्रो० रागनर नर्कसे (Ragner Nurkse) के अनुसार - “अल्पविकसित देश वे हैं जो विकसित देशों की तुलना में कम पूँजी से सम्पन्न होते हैं"।

परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि अल्पविकास पूँजी की कमी का परिणाम है। पूँजी की कमी अल्पविकसित होने का केवल एक सूचक है। एक अल्पविकसित देश वह है जो विकसित देशों की तुलना में आर्थिक दृष्टि से निर्धन होता है। देश इसलिये निर्धन होता है क्योंकि उसके संसाधनों का पूरा प्रयोग नहीं किया जाता। अतः यह कहा जा सकता है कि अल्प विकसित देश विकास की क्षमता रखता है।

3. इरमा एडलमैन (Irma Adleman) के अनुसार - “एक समाज को अल्पविकसित तब कहा जायेगा जब उसका आर्थिक विकास सम्भव हो किन्तु अपूर्ण हो"

4. भारतीय योजना आयोग के अनुसार - "एक अल्पविकसित देश वह है जिसमें एक ओर अधिक या कम अंश में मानव शक्ति बेकार हो तथा दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण शोषण न हुआ हो"।

5. सिंगर (H. W. Singer) ने - अल्पविकसित देश की परिभाषा करने के प्रयास को समय व शक्ति का अपव्यय बताया है। उनके अनुसार, “अल्पविकसित देश एक जिराफ की भाँति है जिसका वर्णन करना कठिन है किन्तु जिसे देखकर पहचाना जा सकता है"।

6. यूजीन स्टैली (Eugene Staley) ने - अल्पविकसित देश की यह परिभाषा दी हैं, "वह देश जिसमें व्यापक निर्धनता ( Mass Poverty), जोकि स्थायी हो, न कि किसी अस्थाई विपत्ति का दुष्परिणाम हो तथा अप्रचलित तरीकों (Obsolete Methods) का प्रयोग होता है"।

अल्प-विकास का विकास तथा फ्रैंक
(Development of Under-development and Frank)

एण्ड्रे गुण्डर फ्रैंक लेटिन अमेरिका निवासी वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। उन्होनें 1966 में 'अल्प-विकास के विकास' पर अपने विचार रखे। उनके अनुसार विश्व में उभरते उत्तर व पिछड़ते दक्षिण में स्थानिक अन्तर्क्रिया के कारण उत्पन्न विषमताओं का कारण व्यापक है। उन्होंने अल्पविकास के विकास पर महानगर-उपग्रह (Metropolis-Satellite) मॉडल प्रस्तुत किया। फ्रैंक के 'अल्पविकास के विकास' पर विचारों के निम्न महत्वपूर्ण बिन्दु हैं-

1. विश्व महानगर का विकास असीमित होता है। इसके विपरीत सहायक पूँजीवादी महानगरों का विकास उनके उपग्रह स्तर द्वारा सीमित कर दिया गया है।

2. “विकास शोषण से प्रारम्भ होता है तथा शोषण के कारण पिछड़ेपन की उत्पत्ति होती है"।

3. किसी प्रदेश के अल्प-विकास का स्त्रोत न तो उसका एकाकीपन है और न उसकी पूर्व पूँजीवादी संस्थायें हैं बल्कि उसकी महानगर से की गई शोषण की विरासत हैं।

4. अल्पविकास एक मौलिक या आरम्भिक अवस्था नहीं है जिससे प्रत्येक देश के विकास का आरम्भ होता है। विकास शोषण प्रक्रिया का उत्पाद है जिससे कोई देश प्रभावित होता है।

5. उपग्रह अपना सर्वाधिक विकास तब महसूस करते हैं जब उनके महानगर से बन्धन सबसे कमजोर होते हैं। उनके विकास और औद्योगीकरण पर रोक लग जाती है जब वे पूरी तरह महानगर के आर्थिक तंत्र में शामिल कर दिये जाते हैं।

गुण्डर फ्रैंक के विचारों से ब्रिटेन ने अनेक दशकों तक एक विश्व महानगर के रूप में भूमिका निभाई है। उसने भारत जैसे अनेक उपग्रह देशों के संसाधनों का दोहन किया है और अपना विकास किया। उसके विकास का आधार उपग्रह के साथ मजबूत सम्बन्ध (Ties ) थे लेकिन जब उपग्रह और महानगर के सम्बन्ध कमजोर हुये तभी उपग्रहों में विकास हुआ।

भारत मे विकास की शुरुआत 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद ही दिखाई पड़ती है। क्योंकि उसके बाद ब्रिटेन जैसे महानगर द्वारा उसके संसाधनों का दोहन नहीं किया गया। यदि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत मे विभिन्न राज्यों मे विकास की गति देखें तो भारत के पहाड़ी, मरुस्थली या अधिक वनाच्छादित क्षेत्र ही विकास में पिछड़ गये हैं। ऐसे क्षेत्रों ने उपग्रह के रूप में उन क्षेत्रों (महानगरों) से अपना शोषण कराया जो स्वयं विकसित थे। झारखण्ड का छोटा नागपुर पठार तथा उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र इसके उदाहरण हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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